मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा भारत की गिरफ्त में: न्याय की ओर एक निर्णायक कदम

التعليقات · 28 الآراء

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि मिली है।
26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्व

26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। अब उससे NIA करेगी पूछताछ। जानिए पूरी खबर।

26/11 के जख्मों को न्याय मिलेगा?


भारत के इतिहास में सबसे खौफनाक आतंकी हमलों में से एक मुंबई हमला (26/11) एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि इस हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। यह उन 166 परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जिन्होंने 2008 में अपनों को खोया।

 तहव्वुर राणा की भारत वापसी

64 वर्षीय राणा को अमेरिका की जेल से भारत लाया गया, जहां NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और R&AW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) की संयुक्त टीम ने उसे दिल्ली एयरपोर्ट पर कड़ी सुरक्षा में लिया। उसे अब दिल्ली की तिहाड़ जेल, जो देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है, में रखा जाएगा।

 तहव्वुर राणा कौन है?

  • राणा मूल रूप से पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक है।

  • वह डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी है, जिसने 26/11 से पहले मुंबई में रेकी की थी।

  • राणा ने हेडली को अपनी इमिग्रेशन कंपनी के जरिए कवर प्रदान किया और उसकी जासूसी में मदद की।

  • अमेरिका में उसे डेनमार्क टेरर केस में सजा हुई थी, लेकिन भारत ने उसके खिलाफ नई सबूतों के आधार पर प्रत्यर्पण की मांग की थी।

 अब भारत में क्या होगा?

राणा को अब NIA की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। उसके खिलाफ:

  • आतंकी साजिश,

  • देशद्रोह,

  • और गैरकानूनी गतिविधियों का मुकदमा चलाया जाएगा।

 पाकिस्तान का पलड़ा झाड़ना

राणा की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान ने उसका नागरिक होने से इंकार कर दिया है।

  • पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का बयान: “राणा पिछले दो दशकों से पाकिस्तान का नागरिक नहीं है।”

  • यह बयान ऐसे वक्त आया है जब भारत की वैश्विक स्तर पर आतंक के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की प्रशंसा हो रही है।

 सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम

  • दिल्ली एयरपोर्ट पर स्पेशल कमांडो यूनिट, SWAT टीम और सुरक्षा एजेंसियों की तगड़ी तैनाती की गई थी।

  • राणा के दिल्ली पहुंचते ही उसे सुरक्षा घेरे में ले लिया गया, ताकि कोई चूक न हो।

 निष्कर्ष

राणा की वापसी भारत के लिए केवल एक कूटनीतिक जीत नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और न्यायिक जीत भी है। यह एक सशक्त संदेश है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ झुकने वाला नहीं है।

 

التعليقات